ज़िन्दगी के उधार बाक़ी हैं
चन्द नहीं बेशुमार बाक़ी हैं
कितने वादे अभी अधूरे हैं
कितने कौल ओ करार बाक़ी है
हसरतें आरज़ूएं तमन्नाएं
ख्वाहिशें सद हज़ार बाक़ी हैं
दिल में अरमान हूक देते हैं
रन्जिशों के ग़ुबार बाक़ी हैं
अनगिनत काम अब भी करने हैं
साँसें गिनती की चार बाक़ी हैं