इन दिनों कुछ भी नहीं करता हूँ मैं
फिर भी मसरूफ़1 बहुत रहता हूं
याद बीते दिनों
को करता हू
यादों के कूचों2 में घूम आता हूँ
हैरती3 चीज़ें वां4 पे
पाता हूं
जादू का खेल हो कोई जैसे
एक दिन देखने में आता है
गली कूचे सभी सूने वीरान
कोई आहट नहीं आवाज़ नहीं
एक भी चेहरा नहीं है दिखता
फिर किसी दिन सब उलट जाता है
अनगिनत चेहरे नज़र आते हैं
कई आवाज़ें मगज़ खाती हैं
कोई मक़सद5 कोई उम्मीद नहीं
फिर भी जाता हूँ हर
इक रोज़ वहीं
अपनी नाकामियों पर
रंज6 औ मलाल7
और नादानियों8 पर पछतावा
मुझे मशगूल9 किए रखते हैं
इस मशक्कत10 से नहीं कुछ मिलता
फिर भी मैं इसको किए
जाता हूँ
न कोई लुत्फ़11 रहा और न मज़ा
फिर भी ज़िंदा हूँ जिए
जाता हूँ
ज़िन्दगी ज़हर या
कि अमृत है
हो के बेफ़िक्र
पिए जाता हूँ
1. मसरूफ: Busy
2. कूचों:
Streets
3. हैरती:
Amazing, strange
4. वां: There
5. मक़सद: Aim
6. रंज: Sorrow,
grief
7. मलाल: anguish
8. नादानियों: ignorance,
foolishness
9. मशगूल: busy,
engaged
10. मशक्कत: exercise,
labour
11. लुत्फ़:
enjoyment