August 24, 2025

बेकार मसरूफ़

इन दिनों कुछ भी नहीं करता हूँ मैं

फिर भी मसरूफ़1  बहुत रहता हूं

याद बीते दिनों को करता हू

यादों के कूचों2 में घूम आता हूँ

हैरती3  चीज़ें वां4 पे पाता हूं

जादू का खेल हो कोई जैसे

एक दिन देखने में आता है

गली कूचे सभी सूने वीरान

कोई आहट नहीं आवाज़ नहीं

एक भी चेहरा नहीं है दिखता

फिर किसी दिन सब उलट जाता है

अनगिनत चेहरे नज़र आते हैं

कई आवाज़ें मगज़ खाती हैं

कोई मक़सद5 कोई उम्मीद नहीं

फिर भी जाता हूँ हर इक रोज़ वहीं

अपनी नाकामियों पर रंज6 औ मलाल7

और नादानियों8 पर पछतावा

मुझे मशगूल9 किए रखते हैं

इस मशक्कत10 से नहीं कुछ मिलता

फिर भी मैं इसको किए जाता हूँ

न कोई लुत्फ़11 रहा और न मज़ा

फिर भी ज़िंदा हूँ जिए जाता हूँ

ज़िन्दगी ज़हर या कि अमृत है

हो के बेफ़िक्र पिए जाता हूँ

 

1. मसरूफ: Busy

2. कूचों: Streets

3. हैरती: Amazing, strange

4. वां: There

5. मक़सद: Aim

6. रंज: Sorrow, grief

7. मलाल: anguish

8. नादानियों: ignorance, foolishness

9. मशगूल: busy, engaged

10. मशक्कत: exercise, labour

11. लुत्फ़: enjoyment