December 20, 2025

सादा दिली मेरी फ़ितरत है

सादा दिली मेरी फ़ितरत1 है

खामी2 है या खूबी है

ताक़त है कि कमज़ोरी

अच्छाई या बुराई है

इसका मुझको ज्ञान नहीं

कोई चिन्ता भी नहीं मुझको

इसकी बदौलत3 ही मैं हूँ

पहचाना भी जाता हूं

विरसे4 में अपने बुज़ुर्गों से

नेमत5 मैंने पाई है

माल--ज़र6 नहीं चाहा कभी

मालामाल हुआ फिर भी

यह दौलत जो आई है

 

नाज़ है इस सादा दिली पर

कोई पशेमानी7 नहीं है

सादा दिली तनहा8 नहीं आई

उसके हमजा9 भी आए हैं

नर्मदिली10 औ फ़राख़दिली11

सन्तुष्टि धीरज बर्दाश्त

त्याग दया  बलिदान क्षमा

सेवा ख़िदमत का जज़्बा

छोटे बड़े  का पूरा लिहाज़

 

सादा दिल तो मैं बेशक़ हूँ

अक़्ल से पैदल भी नहीं  हूँ

जाने पहचाने ओछे

घात लगाए बैठे लोग

 

जब साज़िश कोई करते हैं

मैं पकड़ उनको लेता हूँ

ऐसे ही छोड़ भी देता हूं

आगे के लिए चेता कर

 

मैं शिव जी का उपासक हूँ

मुझ को लगता है शिव से

मुझ में आए हैं कुछ गुण

जल्दी खुश हो जाता हूँ

 

आंसु  पिघलाते हैं मुझे

मैं अपनी क्रोधाग्नि से

खुद भी डरा ही  रहता हूं

 

शिव की दया कृपा से अभी तक

मेरा अहित करने वाले

खुद ही खुद फ़ना12 होते गए हैं

जल कर स्वाहा  होते गए हैं

सादा दिल मैं  सदा उनकी

आत्मा की शांति के लिए

सच्चे मन से कामना करता हूं

 

 

Glossary:

1. फ़ितरत: Nature

2. खामी: fault, defect, shortcoming

3.बदौलत: owing to, because of

4. विरसा: legacy, Heritage

5. नेमत: boon, blessing

6. माल--ज़र: wealth, money

7. पशेमानी: regret, disgrace, remorse

8. तनहा: alone

9. हम-जा: isotopes, companions

10. नर्मदिली: soft heartedness

11. फ़राख़दिली: broad mindedness

12.फ़ना होना: to be destroyed


December 1, 2025

अच्छा लगता है हाथी का लक़ब

 

कुछ प्रेमी हैं मेरे बड़े ही खैरख़्वाह1 हैं

उनको लगता है वो जानते है मुझको

 उनकी फितरत2 से मैं तो वाक़िफ़ हूं

भरी दिल में मेरे तईं खुन्नस3 है

 फिर भी दावा तो ह ही किया करते हैं

कि भला ही मेरा वो चाहा करते हैं

 

मुझ को हाथी का लक़ब4 दिया है उन ने

मेरा हर ज़िक्र इसी नाम से होता है

 यह जान मुझे थोड़ी उत्सुकता5 हुई

इस नाम को चुनने का मंतिक़6 क्या था

 फिर अचानक  मुझ को यह एहसास हुआ

हाथी की उपाधि7 मेरे लिए सही है


कई  खामियां8  हाथी की  हैं मेरे अंदर

दिखने लगी है बड़ी सी अब तोंद मेरी

आँखें मेरी  कमज़ोर बहुत हो गईं हैं

 नकली लगे हैं अब तो सभी दांत मेरे

खाने के कम हैं दिखाने के ज़्यादा

 आसानी से उठ बैठ नहीं सकता

चल फिर सकता हूं बड़ी ही मुश्किल से

 चूँकि मुझें पूँछ नहीँ दी  विधाता ने

दुम को हिला के हाँ कहा नहीँ कभी  मैंने

 अपनी मर्ज़ी करता  हूं निरंकुश9  हूं


हाथी की खूबियां भी है कई मेरे में

 स्मरण शक्ति है अच्छी अभी तक मेरी

हर आवाज़ सुन सकते हैं कान मेरे

 कभी यकदम सूंड  बन उठती है क़लम मेरी

हमलावर को उठा कर इससे दे पटकता हूँ

 

जब भी  जाता हूँ  मैं  बाग़ीचे में

हव्वा बने फिरते हैं जो रंगे सियार10

मिलकर  पाले हुए कुत्तों पिल्लों के साथ

डरे सहमे दूर ही दूर से देखते है

 भभकी देते है  चिल पुं 11  मचाते है

मस्ती में इतराता चला जाता हूं मैं

 

अच्छा ही लगता है जब कुछ लोग मुझे

हाथी कहते भी हैं और  समझते भी

 

 Glossary

1. खैरख़्वाह: Well-wisher

2. फितरत: Nature

3. खुन्नस: ill-will, envy

4. लक़ब: Nickname

5. उत्सुकता: Curiosity

6.मंतिक़: Logic, reasoning

7. उपाधि: title

8.खामियां : short-comings

9. निरंकुश : uncontrolled, autocratic

10. सियार: Jackal

11. चिल पुं: mournful hue and cry


November 19, 2025

महबूबा की जूठी बरफ़ी

 

जाना या अनजाना कोई भी तारीफ़ करे

मन को भाता जी को अच्छा लगता है

झूठी है सच्ची है इस से ग़रज़1 नहीं  है

करने वाले की नीयत का पता चलता है

झूठी हो तारीफ़ तो और मज़ा देती है

महबूबा की जूठी बरफ़ी के जैसी

झूठी ख़बर बदनामी बेतुकी2 राय-ज़नी3

सारे  ही तारीफों के अलग से तरीके हैं

खुल कर की गई प्रशंसा से ख़ुशी मिलती है

कुछ न कहा जाए तो भी दुःख नहीं होता है

 बेरुखी4 से लेकिन बड़ी दिक्कत होती है

जलती है आग सी दिल में रंजबहुत होता है

जब अपना साथी समझा किए हम जिसको

पेश आता है हमीं से गैरों की तरह 

अनदेखा करता है जब वोह देख हमें

मुंह को अपने फेरे हुए चला जाता है

नज़रें बदलते ही मन भी बदल ही जाता है

आँखों से ओझल को हर कोई भुला देता है

चुनांचे चाहे जितनी भी रुसवाई6 हो

कुछ मोटी चमड़ी वाले राजा बाबू

मां के लाडले प्यारे दुलारे बिगड़े दिल

पुश्तैनी7 शहज़ादे हारा नहीं करते

जनता की नज़रों से ओझल ही नहीं होते

चमचों की उकसाहट से डटे ही रहते हैं

ये भी शायद अपना धर्म निभाते हैं

फल की चिंता नहीं बस कर्म ही करते हैं

इनकी शान में जो भी कहो कम होता है

ये पूजा करने योग्य हैं इनको नमन है 

Glossary:

1. ग़रज़: Concern

2. बेतुकी: Inappropriate, unreasoable

3. राय-ज़नी: Criticism

4. बेरुखी: indifference, ignorance

5. रंज: pain, sorrow

6. रुसवाई: infamy, disgrace, ignominy 

7. पुश्तैनी: hereditary

September 4, 2025

बुढ़ापा सीली लकड़ी है

 

बुढ़ाते जिस्मों की फ़ितरत1

बहुत कुछ यूँ बदलती है 

निकलता पानी धीरे से

हवा फर फर निकलती है

जवानी है बुलट गाड़ी

हवा से बात करती है

बुढ़ापा माल गाड़ी है

ज़रा रुक रुक के चलती है

जवानी सूखी लकड़ी है

पकड़ती आग है फ़ौरन

बुढ़ापा सीली लकड़ी है

जतन के बाद जलती है

छतों को ताकते हैं बस

सितारे गिन नहीं पाते

सुहानी रात या काली

बहुत मुश्किल से ढलती है

सरों से बाल हैं झड़ते

गढ़े आँखों में पड़ते हैं

विवश हो दांत भी सारे

लगाने नकली पड़ते है

कभी तो कान दुखते है

सुनाई कम ही देता है

कभी आँखों में धुँधला-पन

दिखाई कम ही देता है

कभी नज़ला है लग जाता

कभी छाती भी जलती है

सलाहें देते हैं अक्सर

सभी को यह बिना पूछे

दख़ल अंदाज़ी2 लगती है

यह आदत सब को खलती है

जो चलते राह कोई लड़की

गिरा दे मार कर कन्धा

कहेंगे सब तमाशाई

इसी बूढ़े की ग़ल्ति है

मगर यह भी तो सच ही है

रहे सारी उमर आशिक़

जो देखें मोहनी सूरत

तबीयत उठ मचलती है

 Glossary:

1. फ़ितरत:  Nature, disposition

2. दख़ल अंदाज़ी: Interference