मेरी फ़ितरत1में ख़ुद-पसंदी2 है
ख़ुद ही अपने से प्यार करता हूँ
अपने होने पे फख्र3 है मुझको
अपनी सीरत4 पे नाज़ करता हूँ
आग दिल में लगे रक़ीबों5 के
कुछ न कुछ ऐसा कर गुज़रता हूँ
शक्ल ओ सूरत रही न पहले सी
आइना देखने से डरता हूँ
गुल-ए-नर्गिस6 हूँ बन गया जैसे
खुद को पहचानने से डरता हूँ
रात और दिन यूँ आते जाते रहें
बस यही इन्तिज़ार करता हूँ
1. फ़ितरत: Nature, disposition
2. ख़ुद-पसंदी: Self appreciation
3. फख्र: Pride
4. सीरत: Character, conduct, disposition
5. रक़ीब: Rival, Competitor
1 comment:
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