July 7, 2021

Prayer in despair

 


दुआ और इल्तिजा

ज़िंदगी से नजात मिल जाए,

है यही रोज़ की दुआ मेरी

मेहरबां वो जो सबकी सुनता है,

कब सुनेगा इल्तिजा मेरी

इब्तिदा ही से मुझको शुबह था,

अच्छी होगी न इन्तिहा मेरी

मुझको जबरन हयात ले लाई,

मुझसे पूछी नहीं रज़ा मेरी

रात दिन इंतिज़ार करता हूं,

लेने आएगी कब क़ज़ा मेरी

जिस्म खस्ता है पर नहीं तजती,

रूह अजब है बावफ़ा मेरी

क़ैद तो चार दिन की थी​ लेकिन

ख़त्म होती नहीं सज़ा मेरी

रु-ब-रु आएं वो तो दम निकले,

कैसे पंहुचेगी  वां  सदा मेरी

उनका शैदा हूं उनको इल्म नहीं

बात मानेंगे क्यों भला मेरी

मैंने तौबा शराब से कर ली,

ज़ीस्त हो गई बद-मज़ा मेरी

दोस्त अहबाब हैं खफ़ा मुझ से,

ऐसी दुश्मन हुई सलाह मेरी