August 30, 2023

 मेरा उम्र भर का सफ़र राएगाँ  गया


क़िस्सा--हस्त-ओ-बूद​ मेरा बेबयां गया

मेरा उम्र भर का सफ़र राएगाँ  गया

मन्ज़िल थी सामने रसता भी साफ़ था

फिर भी न उस समत मेरा कारवां गया

तेरी जुस्तजू में जाना भटका हूं दर-ब-दर​

मायूसी हाथ आई मैं चाहे जहां गया

तुम न  थे साथ  फिर भी तन्हा नहीं रहा

तेरा अक्स साथ आया मैं जहां जहां गया

दुश्मन को भी न  मैने कभी बददुआएं दीं

फिर क्या हुआ कि दुश्मन हो आस्मां गया​

मैने न जाने कितने हवाई क़ले बनाये

लेकिन यहां ज़मीं पर मैं ला-मकां गया